Lado Laxmi Yojana हरियाणा दीन दयाल लाडो लक्ष्मी योजना राज्य सरकार की एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सामाजिक दृष्टि से परिवर्तनकारी योजना है। इस योजना की शुरुआत का मुख्य उद्देश्य राज्य में बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। हरियाणा जैसे राज्य, जहाँ कभी लिंगानुपात चिंता का विषय था, वहां यह योजना एक नई आशा लेकर आई। सरकार ने इस योजना के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश दिया कि बेटियाँ अब परिवार पर बोझ नहीं, बल्कि समाज की सबसे बड़ी ताकत हैं। इस योजना का उद्देश्य बेटी के जन्म से लेकर उसके उच्च शिक्षा और विवाह तक हर चरण में आर्थिक सहयोग प्रदान करना है ताकि कोई भी बेटी गरीबी या सामाजिक कारणों से अपने अधिकारों से वंचित न रहे। इसके साथ ही यह योजना “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे राष्ट्रीय अभियानों को मजबूती देती है और बाल विवाह व कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाने में भी मदद करती है। इस योजना का सार यही है — “बेटी है तो कल है।”
योजना की शुरुआत और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
हरियाणा दीन दयाल लाडो लक्ष्मी योजना की शुरुआत वर्ष 2015 में की गई थी। राज्य के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में इस योजना को लागू किया गया। इस योजना का नाम भारत के महान समाजसेवी और विचारक पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के नाम पर रखा गया, जो “अंत्योदय” यानी समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुँचाने की विचारधारा के समर्थक थे। यह योजना खास तौर पर ऐसे परिवारों के लिए तैयार की गई थी जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिनके लिए बेटी की शिक्षा, स्वास्थ्य या विवाह का खर्च उठाना कठिन होता है। हरियाणा सरकार ने इस योजना के माध्यम से समाज में यह सोच विकसित करने का प्रयास किया कि बेटी के जन्म को उत्सव की तरह मनाया जाए, न कि चिंता का कारण समझा जाए। इस योजना की रूपरेखा इस प्रकार बनाई गई कि बालिका के जन्म से लेकर उसके उच्च शिक्षा प्राप्त करने तक आर्थिक सहायता दी जा सके, जिससे परिवारों का बोझ कम हो और बालिकाएँ आत्मनिर्भर बन सकें। आज यह योजना हरियाणा में महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।
योजना की पात्रता और आवश्यक शर्तें
हरियाणा दीन दयाल लाडो लक्ष्मी योजना का लाभ केवल राज्य के स्थायी निवासी परिवारों की बेटियों को दिया जाता है। यह योजना विशेष रूप से गरीबी रेखा से नीचे (BPL) वर्ग और सामाजिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए बनाई गई है। एक परिवार की अधिकतम दो बेटियाँ ही इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकती हैं। आवेदन करते समय बालिका का जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक की प्रति और पासपोर्ट साइज फोटो अनिवार्य रूप से जमा करनी होती है। इसके अतिरिक्त, यह भी आवश्यक है कि बालिका अविवाहित हो और मान्यता प्राप्त विद्यालय या कॉलेज में नियमित रूप से अध्ययनरत हो। यदि कोई बालिका स्कूल छोड़ देती है या विवाह कर लेती है, तो वह इस योजना के लाभ से वंचित हो जाती है। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि योजना का लाभ वास्तविक पात्रों तक ही पहुँचे। इस तरह की पात्रता शर्तें योजना को पारदर्शी बनाती हैं और भ्रष्टाचार की संभावना को समाप्त करती हैं।
योजना के अंतर्गत मिलने वाला आर्थिक लाभ
इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें बेटियों को जीवन के विभिन्न चरणों में कुल लगभग ₹1,00,000 तक की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह राशि किस्तों में दी जाती है ताकि प्रत्येक चरण में बालिका को आवश्यक सहायता मिल सके। बेटी के जन्म के समय सरकार एकमुश्त राशि उसके नाम पर फिक्स डिपॉजिट के रूप में जमा करती है, जिससे भविष्य में उसे आर्थिक सुरक्षा मिलती है। जब बालिका 6वीं, 9वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा पास करती है, तब सरकार द्वारा अलग-अलग किस्तों के रूप में धनराशि उसके खाते में जमा की जाती है। आगे चलकर यदि बेटी स्नातक या व्यावसायिक कोर्स जैसे बी.ए., बी.एससी., नर्सिंग, बी.कॉम या पॉलिटेक्निक में दाखिला लेती है, तो उसे अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।
सभी भुगतान Direct Benefit Transfer (DBT) के माध्यम से सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में किए जाते हैं ताकि किसी प्रकार की मध्यस्थता या गड़बड़ी की संभावना न रहे। इससे सरकार की पारदर्शिता और बेटियों के प्रति जिम्मेदारी का संदेश दोनों मजबूत होते हैं। इस आर्थिक सहायता से अब हजारों गरीब परिवार अपनी बेटियों को आत्मविश्वास के साथ शिक्षित कर पा रहे हैं।
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से सरल आवेदन
हरियाणा सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी पात्र परिवार आवेदन करने से वंचित न रहे, इसलिए आवेदन प्रक्रिया को दोनों माध्यमों — ऑनलाइन और ऑफलाइन में उपलब्ध कराया गया है।
ऑफलाइन आवेदन के लिए अभिभावक को नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र या बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO) कार्यालय से आवेदन फॉर्म प्राप्त करना होता है। फॉर्म को सही जानकारी के साथ भरने के बाद आवश्यक दस्तावेजों की प्रतियां संलग्न कर जमा करनी होती हैं।
वहीं ऑनलाइन आवेदन के लिए आवेदक हरियाणा सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD Haryana) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण कर सकता है। आवेदन फॉर्म में मांगी गई सभी जानकारियाँ जैसे — अभिभावक का नाम, बालिका की जन्म तिथि, शिक्षा का विवरण, बैंक खाता जानकारी आदि सही-सही भरनी होती हैं। दस्तावेज अपलोड करने के बाद आवेदन सबमिट किया जाता है। इसके बाद विभाग द्वारा दस्तावेजों की जांच की जाती है और पात्रता की पुष्टि होने पर लाभार्थी के खाते में राशि ट्रांसफर कर दी जाती है। इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और तकनीकी रूप से सुरक्षित बनाया गया है ताकि भ्रष्टाचार या देरी की कोई संभावना न रहे।
योजना का सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक प्रभाव
हरियाणा दीन दयाल लाडो लक्ष्मी योजना का प्रभाव केवल आर्थिक स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक और शैक्षिक स्तर पर भी व्यापक रूप से देखा गया है। पहले जहां बेटियों की शिक्षा को लेकर गरीब परिवारों में हिचकिचाहट होती थी, वहीं अब इस योजना की वजह से लोगों का नजरिया बदला है। योजना के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता ने गरीब परिवारों को यह विश्वास दिलाया कि उनकी बेटी की पढ़ाई और भविष्य सुरक्षित है। इससे न केवल बेटियों का स्कूल ड्रॉपआउट रेट घटा है, बल्कि बाल विवाह की घटनाओं में भी उल्लेखनीय कमी आई है।
सामाजिक दृष्टि से इस योजना ने लिंग समानता को मजबूत किया है और ग्रामीण समाज में यह सोच विकसित की है कि बेटियाँ भी परिवार की गरिमा और भविष्य का आधार हैं। वहीं शैक्षिक दृष्टि से देखा जाए तो हरियाणा की बालिकाओं की स्कूलों और कॉलेजों में उपस्थिति पहले की तुलना में कहीं अधिक बढ़ी है। इस योजना ने बालिकाओं में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की भावना को जन्म दिया है। अब बेटियाँ अपने करियर, स्वास्थ्य और भविष्य के फैसले खुद लेने की क्षमता रखती हैं — यही इस योजना की असली सफलता है।
निष्कर्ष — बेटी ही भविष्य है
हरियाणा दीन दयाल लाडो लक्ष्मी योजना केवल एक आर्थिक सहायता कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक मजबूत कदम है। इस योजना ने हरियाणा की धरती पर बेटियों के सम्मान और सुरक्षा को नई पहचान दी है। इस पहल ने यह साबित कर दिया कि जब सरकार, समाज और परिवार मिलकर बेटियों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं, तो परिवर्तन निश्चित होता है। इस योजना के माध्यम से हरियाणा सरकार ने न केवल गरीब परिवारों को राहत दी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सकारात्मक संदेश भी दिया है — “बेटी पढ़ेगी, तभी देश बढ़ेगा।”
यह योजना अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है और इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि जब बेटियाँ सशक्त होंगी, तो समाज और राष्ट्र दोनों ही सशक्त होंगे।
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हरियाणा दीन दयाल लाडो लक्ष्मी योजना से संबंधित 5 महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (FAQ)
1️⃣ प्रश्न: हरियाणा दीन दयाल लाडो लक्ष्मी योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और समाज में समान सम्मान प्राप्त करें।
2️⃣ प्रश्न: इस योजना का लाभ किन परिवारों को मिलता है?
उत्तर: यह योजना केवल हरियाणा राज्य के स्थायी निवासी गरीब (BPL) या सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों की अधिकतम दो बेटियों को ही प्रदान की जाती है।
3️⃣ प्रश्न: योजना के तहत कुल कितनी राशि मिलती है?
उत्तर: इस योजना के अंतर्गत बालिका को जन्म से लेकर स्नातक या व्यावसायिक शिक्षा तक लगभग ₹1,00,000 तक की सहायता राशि किस्तों में दी जाती है।
4️⃣ प्रश्न: आवेदन कैसे किया जा सकता है — ऑनलाइन या ऑफलाइन?
उत्तर: दोनों माध्यमों से आवेदन किया जा सकता है। आवेदक WCD Haryana की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं या नजदीकी CDPO कार्यालय/आंगनवाड़ी केंद्र से ऑफलाइन फॉर्म भर सकते हैं।
5️⃣ प्रश्न: क्या यह योजना बाल विवाह रोकने में मदद करती है?
उत्तर: हाँ, यह योजना बालिकाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर और उनकी शिक्षा को बढ़ावा देकर बाल विवाह की प्रवृत्ति को रोकने में काफी प्रभावी साबित हुई है।

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Bahut achcha ho raha hai jo mahine per mahila ko 21000 milenge isase hamari jaruraton ka kam pura ho jaega